Friday, September 12, 2025

फोर्टिस गुरुग्राम के नेशनल कैम्पेन में 500 से अधिक लोगों ने नेत्रदान का संकल्प लिया

  • फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के दौरान
  • कॉर्नियल अंधता पर जागरूकता बढ़ाने पर दिया जोर, हॉस्पीटल के कॉर्निया रिट्रिवल प्रोग्राम को मजबूत बनाया

गुरुग्राम, 12 सितंबर, 2025: फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफएमआरआई), गुरुग्राम द्वारा आयोजित राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा (25 अगस्त – 8 सितंबर) के दौरान 500 से अधिक लोगों ने नेत्रदान करने का संकल्प लिया है। इस कैम्पेन के दौरान, अन्य वर्षों की तुलना में नेत्रदान का संकल्प करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है, जो कॉर्नियल अंधता के बारे में लोगों के स्तर पर बढ़ती जागरूकता और आम जनता की इसमें प्रतिभागिता का सूचक है।
कैम्पेन के तहत, फोर्टिस गुरुग्राम ने एक संगोष्ठि का भी आयोजन किया था जिसमें नेत्रदान से जुड़ी भ्रांतियों और गलत धारणाओं को दूर करने के मकसद से विशेषज्ञों की वार्ता को शामिल किया गया। फोर्टिस आइ इंस्टीट्यूट ओपीडी में नेत्रदान का संकल्प करने के लिए विशेष बूथ लगाए गए थे ताकि इच्छुक लोग तत्काल खुद को रजिस्टर कर सकें। इसके अलावा, फोर्टिस हॉस्पीटल ने एक जेरियाट्रिक पब्लिक हेल्थ इवेंट का भी आयोजन किया था जिसमें सैंकड़ों वरिष्ठ नागरिकों ने नेत्रदान का संकल्प लिया।

भारत में कॉर्नियल अंधता काफी बड़ी चुनौती बनी हुई है। देश में, हर साल करीब 100,000 कॉर्नियल ट्रांसप्लांट्स की आवश्यकता है, और सीमित उपभोग दरों के चलते लगभग 200,000 डोनर कॉर्निया की जरूरत है (इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेलमोलॉजी, 2023)। वर्ष 2015-2019 के दौरान कराए गए सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार, 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में नेत्रहीनता का दूसरा सबसे प्रमुख कारण कॉर्नियल अंधता है, और यही वजह है कि इस समस्या पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।

डॉ पारुल शर्मा, प्रिंसीपल डायरेक्टर एंड एचओडी, फोर्टिस आइ इंस्टीट्यूट ने कहा, “नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस (एनपीसीबी) के अनुसार, देश में करीब 11 लाख कॉर्नियल अंधता के शिकार लोग हैं और हर साल लगभग 25,000 नए मामले इन आंकड़ों में जुड़ जाते हैं। इस विषय में, जनता की भागीदारी को प्रोत्साहित कर मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटा जा सकता है। इसके लिए लोगों को नेत्रदान जैसे परोपकारी प्रयास के लिए अपना सहयोग देने की आवश्यकता है। मल्टी-सुपर स्पेश्यलिटी हॉस्पीटल और टर्शियरी रेफरल सेंटर के तौर पर एफएमआरआई इस मिशन को आगे बढ़ाने तथा अपने हॉस्पीटल कार्निया रिट्रिवल प्रोग्राम को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।”

उन्होंने बताया कि नेत्रदान को विस्तार देने के काम में जुटे डॉक्टरों के सामने कई प्रकार की चुनौतियां पेश आती हैं। उन्हें इस बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने के साथ-साथ इस बारे में समाज में व्याप्त गलत धारणाओं से निपटना पड़ता है और कई बार किसी व्यक्ति द्वारा नेत्रदान के संकल्प की स्वीकृति देने के बावजूद, मृत्यु होने पर उनके परिजनों की ओर से नेत्रदान के लिए स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया जाता है। इसके अलावा, कई तरह के सांस्कृतिक और धार्मिक कारण भी अड़चन पैदा करते हैं। कई बार मृत्यु होने के बाद कार्निया रिट्रिवल के लिए उपलब्ध छह घंटे की सीमित अवधि के भीतर आइ बैंकों को सूचित करने में देरी, अस्पतालों में प्रशिक्षित काउंसलर्स तथा आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी भी इसमें बाधा बनती है।

यशपाल रावत, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस गुरुग्राम ने कहा, “नेत्रज्योति (विज़न) प्रत्येक व्यक्ति की सबसे प्रमुख इंद्रीय है। फोर्टिस गुरुग्राम में, हम नेत्रहीनों को दोबारा नेत्रज्योति का लाभ दिलाते हुए उन्हें अधिक रोशन और भरपूर जीवन दिलाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। कॉर्नियल सर्जन्स और काउंसलर्स की हमारी कुशल टीम के समर्पित प्रयासों की मदद से, हम साइट-रेस्टोरेशन प्रोग्राम को मजबूत बनाते हुए मरीजों एवं उनके परिवारों के लिए सुविधा प्रदान करने के लिए प्रयासरत हैं।”

उल्लेखनीय है कि एफएमआरआई द्वारा आयोजित इस कैम्पेन में युवा पीढ़ी ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सोशल मीडिया कनेक्शन और सोशल इंफ्लुसिंग के चलते, वे डोनर्स एवं रेसीपिएंट्स के बारे में रील्स, पोस्टों, हैशटैग और पर्सनल स्टोरीज़ के माध्यम इस बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी योगदान करते हैं। देखने में आया है कि 18-40 वर्ष की आयुवर्ग के छात्र एवं प्रोफेशनल्स, समाज में बदलाव के वाहक बन रहे हैं और विभिन्न विषयों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए कॉलेजों में अभियानों, प्रतियोगिताओं, नुक्कड़ नाटकों के मंचन के अलावा, टेक्नोलॉजी एवं ऐप्स की मदद से संकल्प को अधिक आसान और सभी तक आसानी से पहुंचने वाली प्रक्रिया का रूप दे रहे हैं। उनके प्रभाव के चलते अक्सर उनके अपने परिजनों के लिए ऐसे फैसले लेना आसान होता है और साथ ही, जरूरत के समय भी नेत्रदान को बढ़ावा मिलता है।

संस्थागत स्तर पर, फोर्टिस हॉस्पीटल्स अपने हॉस्पीटल कॉर्निया रिट्रीवल प्रोग्राम (एचसीआरपी) को मजबूत बना रहा है। यह प्रोग्राम अस्पतालों में मृत्यु के बाद पात्र एवं इच्छुक डोनर्स के कॉर्नियल टिश्यू रिट्रीवल में मददगार होता है। समय पर कॉर्निया रिट्रिवल के लिए आईसीयू स्टाफ, ग्रीफ काउंसलर्स, और आइ बैंक प्रोफेशनल्स की समर्पित टीम कॉर्नियल नेत्रहीलता से ग्रस्त लोगों की नेत्रज्योति लौटाने में मदद के लिए तैनात रहती है।

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